गुण मिलान कैसे होता है

Published by Ashok Prajapati on

भारतीय ज्योतिष में अष्टकूट मेलापक जन्म कुंडली मिलान का एक प्रमुख अंग माना जाता है | हालांकि अधिकाँश ज्योतिषी केवल अष्टकूट को ही पर्याप्त मान कर कुंडली मिलान करते रहे हैं | अष्टकूट मेलापक क्या है और भारतीय ज्योतिष में इसकी क्या महत्ता है इस पर कुछ प्रकाश डाल रहा हूँ |

अष्टकूट मेलापन और गुण मिलान  (Ashtkoot or Gun Milaan and Horoscope Matching)

अष्टकूट मेलापन में जन्म के समय की चन्द्र राशि और चन्द्र के नक्षत्र को आधार मानकर मिलान किया जाता है | चंद्रमा के नक्षत्र और राशि के कुछ निर्धारित अंक प्राप्त होते हैं जिन्हें गुण कहा जाता है | चन्द्र नक्षत्र में २१ और चन्द्र राशि में अधिकतम अंक १५ होते हैं | कुल मिलाकर २१ + १५ = ३६ गुण होते हैं | जिन दो व्यक्तियों की कुंडली का मिलान किया जा रहा है उनके गुणों की संख्या को परस्पर आँका जाता है | कुल ३६ में से २० गुणों का मिलना आवश्यक माना जाता है | इसी को अष्टकूट गुण मिलान या कुंडली मिलान कहते हैं |

गुण मिलान के आठ अंग होते हैं और इन आठ अंगों को कूट कहते हैं इसीलिए इसे संस्कृत में अष्टकूट मिलान कहा जाता है | नीचे दी गई सारिणी से स्पष्ट हो जाएगा कि अष्टकूट में अंकों का निर्धारण किस तरह होता है |

कूट का  नाम वर्ण वश्य तारा योनी मैत्री गण भृकूट नाड़ी
अधिकतम प्राप्त अंक 1 2 3 4 5 6 7 8

 

नाड़ी को 8 अंक प्राप्त हैं इसलिए यदि वर वधु की कुंडली में नाड़ी को महत्वपूर्ण माना गया है | सबसे कम अंक वर्ण में केवल एक है | फिर भी गुण मिलान में एक एक अंक को गिनकर मिलान किया जाता है |

अधिक गहराई में न जाते हुए केवल सभी कूटों का अर्थ बता रहा हूँ |

वर्ण

वर्ण से व्यक्ति की जाति का विचार की किया जाता है | वर्ण में भी चार जातियां हैं | ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र | यदि वर की कुंडली में जाति क्षत्रिय है और वधु की कुंडली में जाति शूद्र है तो ० अंक मिलता है | और जाति में समानता होने पर एक अंक मिल जाता है |

वश्य

वश्य में राशि के आधार पर मिलान करते हैं | वर और वधु की राशि का स्वरुप देखा जाता है कि द्विपद है या चतुष्पद | जलचर है कीट है या वनचर राशि है | जैसे सिंह राशि यानी सिंह या शेर वनचर है | मकर और मीन राशि यानी मगरमच्छ और मछली जलचर हैं आदि |  वश्य यदि सामान हों तो २ अंक मिल जाते हैं |

तारा

तारा मिलान में नक्षत्र और उनके स्वामी का परस्पर सम्बन्ध देखा जाता है | दोनों के नक्षत्रों का तारा मित्र है या शत्रु है, शुभ है या अशुभ है इस आधार पर २७ नक्षत्रों के तारा मिलान में अधिकतम प्राप्त अंक ३ होते हैं |

 

योनी

योनी में भी नक्षत्रों के आधार पर २७ नक्षत्रों को १४ योनियों में विभाजित किया गया है | वर और वधु की योनी परस्पर अति मित्र, मित्र शत्रु, सम या अति शत्रु हो सकती है | अति मित्र में ४ अंक और मित्र में ३ अंक मिलते हैं | इसी प्रकार सम में  २ अंक और शत्रु में एक अंक | अति शत्रु में शून्य अंक मिलता है |

ग्रह मैत्री

मैत्री में वर वधु की चन्द्र राशि का परस्पर मिलान किया जाता है | हर राशि का स्वामी ग्रह दुसरे ग्रहों के साथ अधिमित्र, मित्रता या शत्रुता या सम भाव रखता है | ग्रहों के इसी सम्बन्ध के आधार पर मैत्री के अंक दिए जाते हैं | अधिकतम ५ अंक अधिमित्र को और न्यूनतम ० रहता है |

गण

गण नक्षत्रों के आधार पर निर्धारित किये जाते हैं | गण तीन होते हैं देव गण मनुष्य गण और राक्षस गण | मनुष्य की राक्षस गण से शत्रुता है इसलिए अंक शून्य मिलाता है | मनुष्य को मनुष्य गण से, राक्षस को राक्षस गण से और देव गण को देव गण से पूर्ण ६ अंक मिलते हैं |

भृकूट (Bhakoot)

भृकूट में वर की राशि से वधु की राशी की दूरी को देखा जाता है | कुल १२ राशियाँ होती हैं | वर की राशि से वधु की राशी तक गिन कर जो संख्या आती है उसे मिलान में प्रयुक्त किया जाता है | परस्पर प्राप्त अधिकतम अंकों के आधार पर मिलान को भृकूट कहते हैं | इसमें अधिकतम अंक ७ होते हैं | यदि कुंडली मिलान के समय भृकूट में शून्य अंक हों तो ऐसे वर वधु को परस्पर शादी नहीं करनी चाहिए |

नाड़ी दोष (Nadi Dosha)

नाड़ी मिलान सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है | नाड़ी तीन प्रकार की होती है | आदि, मध्य और अंत | इन्हें वात, पित्त और कफ भी कहते हैं | यदि शरीर में वात, पित्त और कफ में से किसी एक में भी कमी हो जाए तो मनुष्य बीमार हो जाता है | इसी प्रकार नक्षत्रों पर आधारित नाड़ी का वर वधू की कुंडली में दोष हो तो विवाह वर्जित हो जाता है | नाड़ी दोष को मांगलिक दोष के ही समकक्ष गंभीरता से लेना चाहिए | नाड़ी मिलान बहुत सावधानी से करना चाहिए | नाड़ी में सर्वाधिक ८ अंक प्राप्त होते हैं | (Read More About Nadi Dosha)

परिहार (Pariharam)

जब वर वधु की कुंडली न मिल रही हो और शादी आवश्यक हो तो परिहार पर ध्यान देना चाहिए | जन्मकुंडली के ग्रहों का मूल्यांकन करके परिहार का पता लगाया जा सकता है परन्तु जन्मकुंडली मिलान में समय लगता है | ऐसा नहीं है कि कम्प्यूटर से कुंडली मिलान नहीं हो सकता परन्तु कुछ नियम कम्प्यूटर के प्रोग्राम में फिट नहीं बैठ सकते इसलिए जब कुंडली मिलान सूक्ष्मता से करना हो तो अनुभवी विद्वान् ज्योतिषी की सहायता लेनी चाहिए |

 


3 Comments

pujamohta · July 1, 2015 at 6:36 pm

My date of birth is 25sept1986 at 2pm.i want to know my marriage date.when i wi marry

pratima · September 9, 2015 at 2:22 pm

Bod 24/9/1994
Time 5.5pm
Place – Hutti, karnataka, India
Sir can u please tel me at which age I will get married

MAMTA · October 7, 2015 at 9:24 am

Hello sir,I talk to you previous year .I also paid for my report. I got married in the same time period as predicted by you and even forecast about my husband was also very accurate. He is alcoholic. I am so much tensed about my future due to his drinking habit. Please recommend me any solution so that I can get rid of this situation. I have tried to call you but unable to connect. Please sir I need your help, hope you will revert me soon.
My details are as follows
Dob- 2 Sep 1982
Tob- 1:40 am
Place Chandigarh

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